केंद्र सरकार ने शिक्षा में सुधार लाने के लिए ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ को समाप्त करने का बड़ा फैसला लिया है। यह फैसला केंद्रीय विद्यालय, नवोदय विद्यालय और आर्मी स्कूल समेत 3,000 से ज्यादा स्कूलों पर असर डालेगा। अब 5वीं और 8वीं कक्षा के छात्रों को अगली कक्षा में तभी आगे बढ़ाया जाएगा जब वे परीक्षा पास करेंगे।
यह नया बदलाव क्या है?
पहले, ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ के चलते 5वीं और 8वीं के छात्रों को परीक्षा में फेल होने पर भी अगली कक्षा में आगे बढ़ाया जाता था। लेकिन अब सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि सिर्फ परीक्षा पास करने वाले छात्रों को ही आगे बढ़ाया जाएगा। केंद्रीय शिक्षा विभाग के सचिव संजय कुमार ने इस फैसले की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि फेल होने वाले छात्रों को 2 महीने के अंदर दोबारा परीक्षा देने का मौका मिलेगा। अगर छात्र दूसरी बार भी फेल होते हैं तो उन्हें अगली कक्षा में नहीं बढ़ाया जाएगा।
फेल छात्रों के लिए क्या हैं विकल्प?
हालांकि, इस नीति में छात्रों के हितों का भी ध्यान रखा गया है। अगर कोई छात्र 8वीं तक फेल हो जाता है, तो उसे स्कूल से निष्कासित नहीं किया जाएगा। इसके अलावा, ऐसे छात्रों को पढ़ाई में सुधार के लिए विशेष ध्यान और सहायता दी जाएगी।
शिक्षा में सुधार की दिशा में कदम
संजय कुमार ने बताया कि सरकार का उद्देश्य शिक्षा व्यवस्था को मजबूत और परिणामोन्मुख बनाना है। इस नई नीति के तहत शिक्षकों को यह जिम्मेदारी दी गई है कि वे कमजोर छात्रों को बेहतर शिक्षण सहायता प्रदान करें। साथ ही, सरकार ने यह भी सुनिश्चित किया है कि पुनः परीक्षा जल्द से जल्द आयोजित हो, ताकि छात्रों को अपनी योग्यता साबित करने का दूसरा मौका मिल सके।
पॉलिसी का इतिहास
‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ को 2019 में राइट टू एजुकेशन एक्ट में संशोधन के बाद लागू किया गया था। हालांकि, इसे लेकर समय-समय पर सवाल उठते रहे हैं। हाल ही में दिल्ली सरकार ने भी इस पॉलिसी को समाप्त कर दिया था। मार्च 2024 में दिल्ली शिक्षा निदेशालय ने कक्षा 5 और 8 में ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ खत्म करने के बाद कक्षा 6 से 8 में प्रवेश प्रक्रिया को संशोधित किया था।
सरकार का दृष्टिकोण
शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ की समाप्ति छात्रों में जिम्मेदारी और प्रतियोगिता की भावना को बढ़ावा देगी। यह फैसला शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने और छात्रों को पढ़ाई के प्रति अधिक गंभीर बनाने का एक सकारात्मक कदम है।
इस बदलाव के साथ, यह उम्मीद की जा रही है कि शिक्षा प्रणाली और अधिक प्रभावी और परिणाम-आधारित बनेगी। अब यह देखना होगा कि इस नीति का दीर्घकालिक प्रभाव कैसा रहता है।
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